DRAT V2: TAG-140 ka Naya Cyber Weapon Bharat ke khilaf

 TAG-140 और DRAT V2: भारत का Cyber security Dangers में है




पिछले कुछ हफ्तों से इंडिया के साइबर सेक्टर में खलबली मची हुई है। वजह? एक इंटरनेशनल हैकर ग्रुप – TAG-140 – जो सीधा हमारे देश के सबसे जरूरी सरकारी सिस्टम्स पर नजरें गड़ाए बैठा है। अब ये कोई मामूली झोल नहीं है, इनके पास है एक खतरनाक टूल – DRAT V2।


अब तू पूछेगा, “भाई ये DRAT V2 क्या बला है?”


सीधी बात सुन – ये है एक Remote Access Trojan, यानी ऐसा मालवेयर जो चुपके से सिस्टम में घुस जाता है और हैकर को पूरा कंट्रोल दे देता है। जैसे तेरे घर की मास्टर चाबी किसी बाहर वाले के हाथ लग जाए… और तुझे पता तक न चले!

DRAT V2 का पूरा नाम है – Dynamic Remote Access Trojan – Version 2.0। पहले वाले DRAT से ये कई गुना ज्यादा शातिर है। इसमें ऐसी-ऐसी चीजें भरी पड़ी हैं जैसे:

Encrypted communication – मतलब जो भी डाटा भेजेगा, उसे पकड़ना मुश्किल।

Stealth mode – चुपचाप सिस्टम में छिपा रहेगा, बिना पकड़े।

Auto-update – खुद को अपग्रेड कर लेगा, जैसे कोई स्मार्ट वायरस!

अब समझ रहा है न भाई? ये कोई खेल नहीं चल रहा, सीधा डिजिटल जंग है। और मजे की बात – हमें भनक तक नहीं लगती जब ये सब हो रहा होता है। यही तो सबसे खतरनाक बात है।


TAG-140: एक खुफिया साइबर सेना, जो परदे के पीछे खेल रही है

भाई, ये TAG-140 कोई ऐरा-गैरा हैकिंग ग्रुप नहीं है। ये तो एकदम हाई-लेवल खेल खेल रहा है। साइबर सिक्योरिटी के एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये ग्रुप राज्य प्रायोजित (state-sponsored) है — यानी सीधे किसी सरकार की छतरी के नीचे काम करता है। और शक की सुई सीधी चीन की तरफ घूम रही है।


अब नाम थोड़ा टेक्निकल सा लगेगा – TAG यानी Threat Activity Group और 140 इसका सीरियल नंबर है। पर काम इसका एकदम खतरनाक और प्रो लेवल का है।

इनका असली एजेंडा क्या है? सुनो:

1. हमारे सरकारी सिस्टम्स में घुसपैठ करना

2. गोपनीय दस्तावेज चुराना – जैसे डिफेंस रिपोर्ट्स या स्ट्रैटेजिक प्लान्स

3. लॉन्ग-टर्म निगरानी सेट करना – यानी महीनों तक बिना पकड़े सिस्टम में बने रहना

4. संवेदनशील ईमेल्स और बातचीत तक पहुंच बनाना

5. और सबसे खतरनाक – हमारी विदेश नीति और डिप्लोमैटिक मूव्स को प्रभावित करना


अब डरने वाली बात ये है कि ये लोग पहली बार मैदान में नहीं उतरे। इससे पहले ये नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों में भी साइबर अटैक कर चुके हैं। और अब उनकी नजर भारत के डिजिटल सिस्टम पर है।

मतलब साफ है – ये कोई छोटा-मोटा वायरस नहीं, ये तो डिजिटल जासूसी की एक फुल-टाइम आर्मी है, जो खामोशी से बड़ी चालें चल रही है।



            भारत पर हमले करने का तरिका 




अब भाई, ये TAG-140 सिर्फ दूर बैठकर बटन नहीं दबा रहा — इनका अटैक स्टाइल पूरी प्लानिंग और साइकोलॉजी के दम पर चलता है। मतलब, सामने वाला कब, कहां और कैसे फंसेगा, इसकी पूरी स्क्रिप्ट पहले से तैयार होती है।

तो चलो देखो, इंडिया पर हमले कैसे किए जा रहे हैं:


1. 🎯 Spear Phishing – 

ये आम फिशिंग नहीं है भाई, इसमें टारगेट को लेकर पहले होमवर्क किया जाता है – जैसे उसकी प्रोफाइल, काम, कॉन्टेक्ट्स वगैरह। फिर एकदम ओरिजिनल लगने वाला ईमेल भेजा जाता है – जैसे कोई अफसर या कलीग मेल कर रहा हो। क्लिक किया नहीं कि सिस्टम उनका!


2. 🧠 Social Engineering – 

ये लोग टारगेट की LinkedIn, सोशल मीडिया, इंटरव्यू वगैरह से जानकारी निकालते हैं। फिर उसी के नाम या डेजिग्नेशन का इस्तेमाल कर टारगेट को कन्फ्यूज़ करते हैं। सामने वाले को खुद ही जाल में उतरवा देते हैं।


3. 💻 Compromised Websites –

सरकारी या भरोसेमंद वेबसाइट्स को हैक करके उनमें DRAT V2 जैसे मालवेयर डाल दिए जाते हैं। कोई भी अगर वो साइट खोले, तो बिना जाने ही उसका सिस्टम संक्रमित हो जाता है। Silent attack, 


4. 🔌 USB और फिजिकल मीडिया – ऑफलाइन सिस्टम भी सुरक्षित नहीं!

इंटरनेट से कटा हुआ सिस्टम? कोई बात नहीं! ये लोग USB ड्राइव्स के ज़रिए भी DRAT V2 पहुंचा देते हैं। खासतौर पर ऐसे सिस्टम्स को निशाना बनाते हैं जो सुपर सिक्योर माने जाते हैं — जैसे डिफेंस या एनर्जी सेक्टर


🎯 अब तक के टॉप टारगेट्स

जो नाम सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं:

1. रक्षा मंत्रालय की कुछ शाखाएं

2. विदेश मंत्रालय के अफसर

3. थिंक टैंक और नीति आयोग से जुड़ी गोपनीय फाइलें

4. राज्य सरकारों की आंतरिक बातचीत

5. परमाणु और ऊर्जा संस्थान – यानी देश की रीढ़!

इससे साफ है भाई, ये सिर्फ डाटा चोरी नहीं… ये एक साइलेंट वार है — जहाँ गोली की जगह कोड चल रहा है।


🛡️ भारत की प्रतिक्रिया: अब चुप बैठने का वक्त नहीं है

जैसे ही ये खतरा सामने आया कि TAG-140 जैसे हैकर ग्रुप हमारे सिस्टम्स की जासूसी कर रहे हैं, भारत सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। भाई, अब मामला सिर्फ डाटा चोरी का नहीं, डिजिटल संप्रभुता का है।


तो चलो देखते हैं, भारत ने अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं:


1. 📢 CERT-In की एडवाइजरी – अलर्ट ऑन!

हमारी साइबर डिफेंस एजेंसी CERT-In ने DRAT V2 से जुड़े सारे सिग्नेचर और बिहेवियर पैटर्न देशभर के सरकारी विभागों को भेज दिए हैं। मतलब, अब हर IT टीम चौकन्नी है — जैसे बॉर्डर पर फौज तैनात हो।


2. 🧪 नेटवर्क स्कैनिंग और आंतरिक ऑडिट – घर की तलाशी

हर सरकारी संस्था में इंटरनल साइबर ऑडिट हो रहे हैं। चेक किया जा रहा है कि कहीं पहले से कोई मालवेयर अंदर तो नहीं बैठा। जिन सिस्टम्स पर शक है, वहां डीप स्कैनिंग की जा रही है।


3. 🎓 कर्मचारियों की ट्रेनिंग – सबसे बड़ी दीवार

सरकारी कर्मचारियों को अब सिर्फ मेल पढ़ना नहीं, मेल पहचानना भी सिखाया जा रहा है। फिशिंग, सोशल इंजीनियरिंग और मैलवेयर से कैसे बचें – इस पर ट्रेनिंग और अवेयरनेस प्रोग्राम्स चल रहे हैं।


4. 🏗️ देसी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा – Made in India डिफेंस


सरकार अब विदेशी टेक्नोलॉजी पर कम भरोसा करना चाहती है। खासकर वो सिस्टम जो क्रिटिकल हैं – जैसे डिफेंस, एनर्जी या डिप्लोमैसी – वहां अब देसी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर लाए जा रहे हैं, ताकि कोई बैकडोर ना रहे।


💡 साफ संदेश: अब साइबर स्पेस में भी आत्मनिर्भरता ज़रूरी है


हम सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं, अब डिजिटल दुनिया में भी सावधान और तैयार रहना सीख रहे हैं। लड़ाई अब सिर्फ हथियारों की नहीं, कोड और क्लिक की भी है।


🛡️ कैसे बचें ऐसे खतरनाक साइबर हमलों से?

भाई, खतरा असली है — और सिर्फ सरकार या बड़ी एजेंसियां ही नहीं, हर इंसान और हर संस्था टारगेट बन सकती है। तो सवाल ये है: बचें कैसे?

यहां दो फ्रंट हैं — संस्थाएं और आम यूजर्स — दोनों को अपने लेवल पर सतर्क रहना होगा।


🏢 संस्थानों के लिए: प्रो लेवल सिक्योरिटी जरूरी


1. 🔍 24x7 नेटवर्क मॉनिटरिंग:

हर वक्त नेटवर्क पर नजर रखो। कोई अजीब हरकत दिखे तो तुरंत ऐक्शन।


2. 🧱 IDS/IPS सिस्टम्स लगाओ:

Intrusion Detection और Intrusion Prevention सिस्टम्स से अनजान या खतरनाक ऐक्टिविटी को पकड़ो और रोको।


3. 🧑‍🏫 साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग:

कर्मचारियों को समझाओ कि क्या क्लिक करना है और क्या नहीं। जागरूक टीम ही असली फायरवॉल होती है!


4. 🔐 MFA लागू करो:

Multi-Factor Authentication से एक्सेस और भी सिक्योर हो जाता है। सिर्फ पासवर्ड से काम मत चलाओ।


5. 🚫 Zero Trust Architecture अपनाओ:

मत मानो कि कोई अंदर है तो भरोसेमंद होगा। हर एक्सेस की पुष्टि करो 


👨‍💻 आम यूजर्स के लिए: थोड़ी सावधानी, बड़ी सुरक्षा


1. ❌ संदिग्ध लिंक से दूर रहो:

अगर कोई लिंक अजीब लग रहा है या मेल अजीब भाषा में है – क्लिक मत करो भाई!


2. 📎 मेल अटैचमेंट्स से सावधान:

“Resume.pdf” टाइप चीजें बिना सोचे समझे मत खोलो, खासकर जब भेजने वाला अनजान हो।


3. 🔑 पासवर्ड रेगुलर बदलो:

सालों पुराना पासवर्ड अब खतरे का बुलावा है। समय-समय पर बदलते रहो।


4. 🛡️ सिक्योर ब्राउज़र + VPN यूज़ करो:

पब्लिक Wi-Fi पर ब्राउज़िंग? VPN ज़रूरी है। और कोई फालतू एक्सटेंशन मत भरो ब्राउज़र में।


5. 📱 पर्सनल डिवाइस को ऑफिस नेटवर्क से मत जोड़ो:

घर का फोन, लैपटॉप या पेन ड्राइव ऑफिस नेटवर्क में लगाना रिस्क है। सेफ्टी पहले!


✅ आखिरी बात:

साइबर सुरक्षा अब IT डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी नहीं रही — ये हम सब की जिम्मेदारी है।


🌐 अंतरराष्ट्रीय असर और साइबर डिप्लोमेसी: 

TAG-140 सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। ये एक ऐसा साइबर ग्रुप है जो कई देशों के सिस्टम्स में सेंध लगा चुका है — मतलब, ये खतरा ग्लोबल है।

और जब खतरा इंटरनेशनल हो, तो जवाब भी इंटरनेशनल लेवल पर देना पड़ता hai.


🌏 भारत की कूटनीतिक चालें

भारत अब इस मुद्दे को छुपा नहीं रहा — साफ तौर पर इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा रहा है, जैसे:

QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया)

SCO (Shanghai Cooperation Organisation)

संयुक्त राष्ट्र में साइबर सुरक्षा को लेकर बातचीत

यानी बात सिर्फ टेक्नोलॉजी की नहीं रही, डिप्लोमेसी की भी हो रही है।


🤝 साइबर सहयोग: दोस्ती का नया चेहरा

भारत अब अमेरिका, इजरायल, जापान जैसे देशों के साथ मिलकर साइबर इंटेलिजेंस शेयर कर रहा है। क्योंकि अगर आज साथ खड़े नहीं हुए, तो कल कोई भी अकेला नहीं टिक पाएगा।


🔚 निष्कर्ष: अब ज़रूरत है 'डिजिटल बॉर्डर सिक्योरिटी' की


जैसे हमारी सेना बॉर्डर पर तैनात रहती है, वैसे ही अब समय आ गया है कि हम "डिजिटल बॉर्डर" की भी रक्षा करें।

TAG-140 और DRAT V2 जैसे खतरे हमें ये समझा चुके हैं कि भविष्य की जंग बंदूकों से नहीं, डेटा से लड़ी जाएगी।


🇮🇳 भारत को चाहिए:

⚙️ मजबूत टेक्नोलॉजी

🧠 साइबर-सेवी सोच

📜 स्पष्ट और सख्त नीति

और सबसे ज़रूरी — जागरूक नागरिक। क्योंकि जब हर यूज़र सतर्क होगा, तभी पूरा सिस्टम मजबूत होगा।





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